पंजाब में कई दशक से कांग्रेस के चेहरा रहे और 2017 में अपने दम पर पार्टी को पंजाब की सत्ता में लाने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है। प्रदेश अध्यक्ष के लिए सिद्धू को लाने और फिर उनकी लगातार बयानबाजी से चलते कैप्टन अमरिंदर सिंह नाराज बताए जा रहे थे। हालांकि कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि यह नाराजगी पार्टी के लिए कोई हैरान करने वाली बात नहीं है क्योंकि केंद्रीय नेतृत्व राज्य में परिवर्तन के बारे में सोच ही रहा था। बीते करीब एक साल से विधायकों की गुटबाजी, नवजोत को महत्व देने और कैप्टन को कई बार नसीहतें मिलने से इस बात के संकेत मिल ही रहे थे।
कैप्टन अमरिंदर सिंह को अपने दम पर फैसले लेने और मजबूत साख वाले नेताओं में शुमार किया जाता रहा है। 2017 में वह पार्टी को उस वक्त राज्य की सत्ता में लाए थे, जब देश भर में उसे हार का सामना करना पड़ रहा था। अब भी देश भर में कांग्रेस के लिए हालात अच्छे नहीं हैं और ऐसे वक्त में अमरिंदर के इस्तीफे से यह सवाल उठता है कि क्या पंजाब में कांग्रेस वापस आ पाएगी? राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पंजाब में कांग्रेस को आंध्र प्रदेश जैसा हाल भी देखना पड़ सकता है। आंध्र प्रदेश में वाईएसआर के आकस्मिक निधन के बाद उनके बेटे जगनमोहन रेड्डी ने सीएम पद के लिए दावा ठोका था, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें किनारे लगा दिया था।
फिर प्रदेश का बंटवारा हुआ और जगनमोहन रेड्डी ने पूरे राज्य में आशीर्वाद यात्रा निकाली थी। इसका असर हुआ कि आज जगन मोहन रेड्डी सत्ता में हैं, टीडीपी विपक्ष में है और कांग्रेस कहीं भी नहीं हैं। कांग्रेस के लिए पंजाब में भी कुछ ऐसा ही हाल हो सकता है। दरअसल नवजोत सिंह सिद्धू कुछ साल पहले ही पार्टी में आए हैं और उस तरह से पार्टी का चेहरा अभी नहीं कहे जा सकते। ऐसे में यह देखना होगा कि कांग्रेस कैसे इस नुकसान की भरपाई कर सकती है। बता दें कि हाल ही में आए एक सर्वे में आम आदमी पार्टी के जीतने की राय सामने आई थी। ऐसे में पार्टी को बेहद संभलकर चलना होगा, वरना कांग्रेस के लिए यह अहम राज्य ‘उड़ता पंजाब’ साबित हो सकता है।
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