भारत में आज नाग पंचमी (Nag Panchami 2021) का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन मुख्य रूप से सांप या फिर नाग की देवता भांति पूजा-अर्चना की मान्यता है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और सांपों की पूजा के साथ-साथ उन्हें दूध भी पिलाते हैं। नाग पंचमी का व्रत बेहद फलदायी और शुभ माना जाता है। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक नाग पंचमी का त्योहार सावन (श्रावण) महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है।
नागपंचमी पूजा और व्रत के आठ नाग देव माने गए हैं- अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख नामक अष्टनागों की पूजा की जाती है।
नागपंचमी पर वासुकि नाग, तक्षक नाग और शेषनाग की पूजा का विधान है। मान्यता के मुताबिक इस दिन सर्पों की पूजा करने से नाग देवता प्रसन्न होते हैं और काल सर्प दोष से ग्रसित जातकों को इस दोष से मुक्ति से मिलती है। जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प दोष है, उन्हें तो विशेष तौर पर नागपंचमी को विशेष पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
नाग पंचमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचमी तिथि प्रारंभ 12 अगस्त 2021 को दोपहर 3 बजकर 24 मिनट पर
पंचमी तिथि समाप्त 13 अगस्त 2021 को दोपहर 1 बजकर 42 मिनट तक
नाग पंचमी की पूजा का शुभ मुहूर्त 13 अगस्त 2021 सुबह 5 बजकर 49 मिनट से सुबह 8 बजकर 27 मिनट तक रहेगा।
नाग पंचमी पर ऐसे करें पूजा
नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा की जाती है। मान्यता के मुताबिक इस दिन अगर किसी को नागों के दर्शन होते हैं तो उसे बेहद शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस नाग पंचमी की पूजा को करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है और सर्पदंश का डर भी दूर होता है।
नाग पंचमी की पूजा विधि
– नाग पंचमी के दिन अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख नामक अष्टनागों की पूजा की जाती है।
– चतुर्थी के दिन एक बार भोजन कर पंचमी के दिन उपवास करके शाम को भोजन करना चाहिए।
– पूजा करने के लिए नाग चित्र या मिट्टी की सर्प मूर्ति बनाकर इसे लकड़ी की चौकी के ऊपर स्थापित करें।
– हल्दी, रोली, चावल और फूल चढ़कर नाग देवता की पूजा करें।
– कच्चा दूध, घी, चीनी मिलाकर सर्प देवता को अर्पित करें।
– पूजन करने के बाद सर्प देवता की आरती उतारी जाती है।
– अंत में नाग पंचमी की कथा अवश्य सुनें।
– घर के दरवाजे पर पूजा के स्थान पर गोबर से नाग बनाएं।
नागपंचमी मनाने के पीछे मान्यता है कि समुद्र मंथन के बाद जो विष निकला उसे पीने को कोई तैयार नहीं था। अंतत: भगवान शिव ने उसे पी लिया। भगवान शिव जब विष पी रहे थे, तभी उनके मुख से विष की कुछ बूंदें नीचे गिरीं और सर्प के मुख में समा गई। इसके बाद ही सर्प जाति विषैली हो गई। सर्पदंश से बचाने के लिए ही इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है।
हिन्दू धर्म में मान्यता है कि सर्प ही धन की रक्षा करते हैं। इसलिए धन-संपदा व समृद्धि की प्राप्ति के लिए नाग पंचमी मनाई जाती है। इस दिन श्रीया, नाग और ब्रह्म अर्थात शिवलिंग स्वरुप की आराधना से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है और साधक को धनलक्ष्मी का आशिर्वाद मिलता है।
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