MP की चुनावी फिजा ने इस बार कई रंग बदले हैं। जिस मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले ही यह माना जा रहा था कि भाजपा चुनाव जीतने के बाद भी शिवराज सिंह चौहान को एक बार फिर से राज्य का मुख्यमंत्री नहीं बनाएगी, उसी मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार खत्म होने तक चौहान ने अपना खूंटा गाड़ दिया है।
शिवराज सिंह चौहान को जब उनकी इच्छा जताने के बावजूद भाजपा ने पिछले चुनाव की तरह इस बार उन्हें ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ का नेतृत्व नहीं करने दिया तो बदलाव के कयास और ज्यादा मजबूत होते नजर आएं
पार्टी आलाकमान ने मुख्यमंत्री होने के बावजूद उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित न कर इन कयासों को और ज्यादा बल दे दिया। सात सांसदों के साथ-साथ पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव को भी विधायकी के चुनाव में उतारकर भाजपा ने इन कयासों को और अधिक बल दे दिया कि पार्टी इस बार शिवराज सिंह चौहान को रिप्लेस करना चाहती है।
वैसे-वैसे शिवराज सिंह चौहान और ज्यादा मजबूत होते नजर आए
लेकिन, जैसे-जैसे चुनाव प्रचार जोर पकड़ता हुआ दिखाई दिया, वैसे-वैसे शिवराज सिंह चौहान और ज्यादा मजबूत होते नजर आए। पार्टी के एक नेता ने बताया कि राहुल गांधी जिस तरह से बार-बार ओबीसी और जातीय जनगणना का राग अलाप रहे थे, उनकी वजह से शिवराज सिंह चौहान जो कि स्वयं ओबीसी जाति से आते हैं, वह न केवल पार्टी के अंदर मजबूत हुए हैं, बल्कि राज्य में भी अपनी पकड़ मजबूत बनाते हुए नजर आ रहे हैं।
पार्टी आलाकमान के मूड को भांपने के बावजूद शिवराज सिंह चौहान विधानसभा चुनाव प्रचार में पूरी तरह से सक्रिय नजर आए। पूरे चुनाव प्रचार अभियान के दौरान चौहान लगातार न केवल मध्य प्रदेश का दौरा करते नजर आएं, बल्कि वह अपनी जनसभाओं में अपनी सरकार और खुद अपनी वापसी के दावे भी करते नजर आएं।
शिवराज सिंह की मजबूती का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि चुनाव से पहले जिनके बारे में यह कहा जा रहा था कि पार्टी उन्हें पूरी तरह से साइडलाइन कर सकती है। चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित पार्टी के तमाम आला नेता शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल की उपलब्धियां को गिनाते हुए नजर आए।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, ओबीसी राजनीति के इस दौर में भाजपा के चुनाव जीतने के बाद शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री नहीं बनाना बहुत आसान फैसला नहीं हो सकता है, क्योंकि शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर से अपने प्रभाव को साबित किया है और ऐसे में पार्टी अगर उन्हें इस बार रिप्लेस करना चाहेगी तो उन्हें किसी बड़े ओबीसी चेहरे को ही आगे करना होगा। हालांकि, शिवराज सिंह चौहान को आरएसएस भी पसंद करता है।
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