मध्यप्रदेश में कोरोना से हालात लगातार बिगड़ रहे हैं। पिछले 24 घंटे में रिकॉर्ड 12,248 नए संक्रमित मिले हैं। इस दौरान 66 मरीजों की मौत हुई है। संक्रमण की दर एक दिन में सबसे ज्यादा 22.83% हो गई है। यानी जांच में हर चौथा व्यक्ति संक्रमित मिला। एक अप्रैल को संक्रमण की दर सिर्फ 10.4% थी। यही वजह है कि सरकार ने ज्यादातर जिलों में लॉकडाउन एक हफ्ते और बढ़ाने का फैसला लिया है।
कोरोना से उज्जैन के महाकाल मंदिर के पुजारी महेश गुरु की मौत हो गई। दो दिन पहले भी एक पुजारी की मौत हुई थी। वहीं, पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी संक्रमित हो गए हैं। वे दमोह उपचुनाव के प्रचार में शामिल हुए थे। दमोह उपचुनाव प्रचार में शामिल पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह समेत अब तक भाजपा और कांग्रेस के 100 से ज्यादा नेता-कार्यकर्ता संक्रमित हो चुके हैं।
भोपाल में 5 सीनियर IPS अफसर संक्रमित हो गए हैं। संक्रमित अफसरों में एडीजी भोपाल सांई मनोहर, पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन के एमडी उपेंद्र जैन, लोक अभियोजन के संचालक अनवेष मंगलम, स्पेशल डीजी फायर शैलेष सिंह, ईओडब्ल्यू डीजी अजय शर्मा शामिल हैं। वहीं रिटायर्ड डिप्टी कलेक्टर उमर फारुख खट्टानी (69) का रविवार सुबह कोरोना से मौत हो गई। भोपाल के हमीदिया अस्पताल में एक सप्ताह में 70 जूनियर डॉक्टर संक्रमित हुए हैं।
प्रदेश में कोरोना संक्रमितों का कुल आंकड़ा 4 लाख 8 हजार 80 हो गया है। कोरोना का पहला पीक सिंतबर 2020 में आया था। तब एक लाख केस 70 दिन में मिले थे। कोरोना की दूसरी लहर में एक लाख केस सिर्फ 17 दिन में आ गए। आंकड़े बता रहे हैं कि कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमण की रफ्तार 6 गुना ज्यादा है।

एक्टिव केस 68,576 हुए
प्रदेश में एक्टिव केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में एक्टिव केस 68,576 हैं। यह आंकड़ा दिल्ली से सिर्फ 1,223 कम है। दिल्ली में एक्टिव केस 69,799 हैं। मध्यप्रदेश में संक्रमण की दर 22.83% पहुंच गई है। जबकि दिल्ली में यह 24% है।
7 दिन में 373 मरीजों की मौत
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मध्यप्रदेश में पिछले 7 दिनों में 373 मरीजों की मौत हुई है, लेकिन श्मशान में इससे कई गुना ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल से किया जा रहा है। ज्यादा मौतों की वजह यह है कि अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी है। गंभीर मरीजों के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन नहीं मिल रहे हैं। हालत ये है कि मरीज को लेकर परिजन भटक रहे हैं, लेकिन अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे।