छतरपुर (मध्य प्रदेश )। बुंदेलखंड के छतरपुर जिले की बिजावर तहसील से करीब 15 किलोमीटर दूर चारों ओर पहाड़ों और पेड़ पौधों से घिरा एक अति प्राचीन शिव मंदिर है। जिसे जटाशंकर धाम के नाम से जाना जाता है। जो लाखों लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। इस अति प्राचीन मंदिर में विराजित भगवान शिव का गौमुख से गिरती हुई धारा से हमेशा जलाभिषेक होता रहता है। जटाशंकर धाम को बुंदेलखंड का केदारनाथ भी कहा जाता है। अमावस्या के दिन यहां भारी भीड़ होती है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर के जल से कई लोगों की बीमारियां ठीक हुई हैं। प्राकृतिक रूप से यह स्थान अति मनोरम है। चारों ओर पहाड़ और हरे भरे पेड़ इस स्थान के सौंदर्य को चौगुना कर देते हैं। बंदरों के साथ यहां जंगली जानवर भी पाए जाते हैं।इस मंदिर परिसर में गर्भ गृह के पास तीन छोटे कुंड हैं। जिनका पानी कभी खत्म नहीं होता है। सबसे खास बात यह है कि इन कुंडों के पानी का तापमान हमेशा मौसम के विपरीत रहता है। ठंड में कुंड का पानी गर्म और गर्मी में शीतल रहता है। ऐसी मान्यता है कि इन कुंडों के जल से स्नान करने से लोगों की कई बीमारियां खत्म हो जाती हैं। कहा जाता है कि विवस्तु नाम के राजा ने 14 वीं शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण करवाया था। राजा विवस्तु को स्वयं जटाधारी भगवान शिव ने स्वप्न में दर्शन दिए और अपने स्थान के बारे में बताया।

तब राजा विवस्तु ने सैनिकों को साथ जाकर उस स्थान को खोजा और उन्हें वहां शिवलिंग मिला। तब राजा विवस्तु ने उसी स्थान पर मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करवाई। राजा ने इसी स्थान पर हवन भी करवाया और हवन में राजा विवस्तु ने अपने मंत्री को भी बैठने को कहा। लेकिन क्षय रोग से ग्रसित होने के कारण मंत्री ने हवन में बैठने से संकोच किया। लेकिन राजा के आदेश के बाद मंत्री को बैठना पड़ा। हवन सम्पन्न होने के बाद हवन की भभूति जब मंत्री के पूरे शरीर पर मली गई। तो उसके शरीर का क्षय रोग पूरी तरह से ठीक हो गया। एक और कथा प्रचलित है कि 1960 के दशक के पहले डाकू मूरत सिंह का बुंदेलखंड में बहुत आतंक था। उसको कुष्ठ रोग था। एक बार प्यास लगने पर डाकू मूरत सिंह भटकते हुए इसी स्थान आ पहुंचा था और उसने यहां स्थित कुंड के जल से अपनी प्यास बुझाई। उसके बाद उसका कुष्ठ रोग धीरे धीरे पूरी तरह से ठीक हो गया। तबसे डाकू मूरत सिंह ने भगवान शिव का चमत्कार मान डाकू जीवन त्याग कर इसी स्थान पर भगवान शिव की पूजा करना आरंभ कर दिया था। जटाशंकर धाम की महिमा से प्रभावित होकर रविवार को उत्तर प्रदेश के कानपुर से आयुध उपस्कर निर्माणी किला मजदूर यूनियन के महामंत्री समीर बाजपेई साथियों संग जटाशंकर धाम पहुंचे और करीब 150 सीढ़ियां चढ़कर तीन छोटे कुंडों के पास से लाइन में लगे। तो भगवान जटाशंकर महादेव की कृपा से लोगों की भारी भीड़ द्वारा कुंड के जल से स्नान करने के बीच ही एक लोटा जल उनके ऊपर भी पड़ गया । जिससे उनका स्वतः ही अर्ध स्नान हो गया। जिसके बाद उन्होंने गर्भ गृह में प्रवेश किया और जटाशंकर महादेव की पूजा- अर्चना कर सभी की सुख- समृद्धि की कामना करी। जटाशंकर धाम के चारों ओर पहाड़ और प्राकृतिक झरने को देख महामंत्री समीर बाजपेई ने इसे भगवान शिव की महिमा और चमत्कार बताया और कहा कि भगवान शिव का यह धाम निश्चय ही बहुत अद्भुत और आकर्षक है। यहां आने से आत्मीय शांति मिलती है। इस दौरान महामंत्री समीर बाजपेई के साथ मुख्य रूप से पूर्व संयुक्त मंत्री संजय गुप्ता, अनमोल गुप्ता आदि रहे।