Hindu Religion (Hindu Dharma) में मस्तक पर तिलक, हाथ में रक्षा सूत्र बांधने के साथ ही चोटी (Choti) रखने की भी परंपरा है. हिंदू धर्म की सभी मान्ताओं और परंपराओं का अपना ही विशेष महत्व होता है.
इन सभी परंपराओं में न सिर्फ धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक महत्व भी होता है. सनातन धर्म में सिर पर चोटी (Choti) रखने की परंपरा ऋषि-मुनि के समय से चली आ रही है. ऐसा बताया जाता है कि प्रत्येक हिंदू के लिए शिखा (Shikha Ka Mahatva) रखना अनिवार्य होता है. तो चलिए आपको चोटी रखने के वैज्ञानिक और धार्मिक पक्ष के बारे में बताते हैं.
चोटी रखने का धार्मिक लाभ
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, Hindu Religion में व्यक्ति के जन्म से मरण तक 16 संस्कारों के बारे में बताया गया है. इन 16 संस्कारों में से एक मुंडन संस्कार होता है. मुंडन संस्कार के दौरान बच्चे के सिर पर थोड़े से बाल छोड़ दिए जाते हैं. हिंदू धर्म में चोटी रखना आवश्यक होता है. शिखा का आकार गाय के खुर के आकार के बराबर होना चाहिए. सिर पर सहस्त्रार चक्र पर चोटी रखी जाती है. इस चक्र के पास इंसान की आत्मा का वास माना जाता है. राहु और केतु ग्रह के अशुभ असर होने पर भी चोटी रखने से लाभ मिलता है.
चोटी रखने का वैज्ञानिक लाभ
विज्ञान के अनुसार जिस जगह पर चोटी रखी जाती है उस स्थान पर मनुष्य के दिमाग का केंद्र होता है. ऐसा माना जाता है कि इसी स्थान से व्यक्ति के शरीर के अंग, बु्द्धि और मन नियंत्रित होते हैं. ऐसे में इस स्थान पर चोटी होने से सहस्त्रार चक्र जागृत रहता है. साथ ही यह चोटी शरीर के अंगों, बुद्धि और मन को अच्छे से नियंत्रित करती हैं.
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