चौसा प्रखंड के अमृतांशु पब्लिक स्कूल, लौआलगान परिसर में कोसी और अंग जनपद की लोक कला, संस्कृति तथा लोक गायन परंपरा को संरक्षित और अक्षुण्ण बनाए रखने के उद्देश्य से “विलुप्त लोक कला संस्कृति पर मंथन” विषयक परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन वरिष्ठ पत्रकार विनोद आशीष एवं प्रो. विष्णुदेव प्रसाद सिंह ‘शास्त्री’ ने दीप प्रज्वलित कर किया।
इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार विनोद आशीष ने लोक कलाकारों की उपेक्षा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार को चौसा में एक कला भवन स्थापित कर कलाकारों को प्रशिक्षण और मंच प्रदान करना चाहिए। प्रो. विष्णुदेव प्रसाद सिंह ‘शास्त्री’ ने लोक संस्कृति की अभिव्यक्ति को लोक साहित्य से जोड़ते हुए इसके संरक्षण पर बल दिया।

साहित्यकार संजय कुमार सुमन ने कोसी क्षेत्र की लोक कलाओं के विलुप्त होने पर चिंता जताते हुए कहा कि कलाकारों को मंच न मिलने और लोगों की लोक संस्कृति के प्रति आस्था में कमी के कारण यह संकट गहराता जा रहा है। उन्होंने अंगिका भाषा में अपनी बात रखते हुए कहा कि भाषाओं के विलुप्त होने से संबंधित कला और परंपराएं भी समाप्त होने के कगार पर पहुंच जाती हैं।
लेखक एवं अधिवक्ता विनोद आजाद ने बिहार की विविध लोक कलाओं के संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि ये कलाएं हमारी पहचान और धरोहर हैं, जिन्हें सुरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता सुनील अमृतांशु ने की और संचालन युवा समाजसेवी अजय कुमार खुशबू ने किया। इस अवसर पर पूर्व मुखिया शशिभूषण सिंह, कांग्रेस नेता शंभू प्रसाद सिंह, शिक्षक रंजीत कुमार सिन्हा, जवाहर चौधरी, युवा समाजसेवी राहुल कुमार यादव, माखनलाल चतुर्वेदी समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।