Corona virus new strain-एक अनुमान के मुताबिक कोरोना से ठीक हुए किसी मरीज में कोविड-19 की एंटीबॉडी यह मियाद 3 महीने की मानी जाती है. अनुमान इसे इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है और अभी इस पर रिसर्च चल रही है. कहीं-कहीं ऐसा देखा जा रहा है कि कोई मरीज दो हफ्ते बाद ही दुबारा संक्रमण का शिकार हो गया. यह ट्रेंड चौंकाने वाला है क्योंकि कोरोना से ठीक हुआ मरीज यह सोचता है कि अब वह सुरक्षित है, लेकिन ऐसी बात नहीं है.
पिछले साल कोरोना की लहर और इस बार में कई बड़े अंतर देखे जा रहे हैं. पिछली बार ऐसा अनुमान लगाया गया कि कोरोना से ठीक हुए मरीज में 3 महीने तक एंटीबॉडी होती है और वह दुबारा संक्रमित नहीं होता.
कम से कम इन तीन महीनों में तो ऐसी कोई बात नहीं होती. लेकिन इस बार डबल म्यूटेंट कोरोना के स्ट्रेन ने सबकुछ बदल कर रख दिया है. कुछ मरीज ऐसे भी मिले हैं जो दो हफ्ते (लगभग 15 दिन) बाद निगेटिव हो गए लेकिन फिर किसी कोरोना पॉजिटिव के संपर्क में आए और खुद भी पॉजिटिव हो गए. यह चौंकाने वाली बात है. यह डबल म्यूटेंट स्ट्रेन के चलते बताया जा रहा है.
जाने विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञ बता रहे हैं कि पिछले साल फैले संक्रमण में 15 दिन की गंभीरता का अंदाजा लगाया जाता था. कोई व्यक्ति संक्रमित हुआ तो शुरू के 3 दिन में वायरस शरीर के अंदर खुद को मल्टीप्लाई करता था, इनक्यूबेशन पीरियड का दौर चलता था. तीन दिन बाद मरीज में रोग के लक्षण आते थे. 14 दिन तक आते-आते लोग स्वस्थ हो जाते, बशर्ते कि उनमें कोई कोमोरबिडिटी न हो. 15 दिन बाद मरीज स्वस्थ होने लगते थे और उनमें तकरीबन 3 महीने तक एंटीबॉडी होती थी जिससे कि नया संक्रमण नहीं होता था. लेकिन इस बार स्थिति बदल गई है.
कोरोना ने बदला स्वरूप

डॉक्टर्स की मानें तो अब 14 दिन वाला हिसाब नहीं है. कई मरीज ऐसे मिले हैं जो तीन दिन के अंदर काल के गाल में समा गए. डॉक्टर अभी सीटी स्कैन और कोई अन्य जांच करने की कोशिश करते, तब तक मरीज की मौत हो जाती है. पहले या दूसरे दिन से मरीजों में गंभीर लक्षण दिखने लगे हैं. पिछली बार कोमोरबिडिटी वाले मरीजों के बचने की संभावना दिखती थी. लेकिन इस बार यह संभावना लगभग शून्य हो गई है. कोरोना वायरस को लेकर किए गए दावे हर रोज झूठे साबित हो रहे हैं. वजह है, इस वायरस का लगातार बदलता स्वरूप. ऐसे में वायरस को लेकर हर दिन नई बातें सामने आ रही हैं.
बदल गया है एंडीबॉडी का रूल
मान लीजिए कोरोना वायरस ने एक बार किसी को संक्रमित कर दिया, मरीज का इलाज किया गया और वह रिकवर भी हो गया. माना जाता है एक बार किसी को वायरस ने संक्रमित कर दिया तो उसके बाद शरीर में उस वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बन जाती है. और अब ये वायरस एक समय सीमा तक या जब तक शरीर में एंटीबॉडी है, किसी को दोबारा संक्रमित नहीं करेगा. ये समय सीमा हर व्यक्ति के केस में अलग होती है. क्योंकि किसी के शरीर में एंटीबॉडीज 3 महीने तो किसी के शरीर में साल भर तक रहती है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
लेकिन अब ऐसे भी मामले सामने आए हैं जहां निगेटिव होने के महज 15 दिन बाद किसी के शरीर में एक बार फिर symptoms दिखने लगते हैं. टेस्ट कराने पर रिपोर्ट फिर से पॉजिटिव आ जाती है? ऐसा क्यों? क्या एक बार निगेटिव होने के बाद किसी को इतनी जल्दी फिर से covid हो सकता है? इस बारे में नोएडा के डॉक्टर वलेचा बताते हैं, हां ये बिल्कुल मुमकिन है. इसे ऐसे समझिए कि ये सही है कि आपकी बॉडी ने एक बार उस वायरस को पहचान लिया और उसके खिलाफ एंटीबॉडीज भी तैयार कर ली. लेकिन अगर वहीं वायरस अगली बार अपनी शक्ल बदल कर आए तो?
डबल म्युटेंट और Immunity Escape क्या है
डॉ. वलेचा ने बताया कि कोरोना वायरस लगतार अपना रूप बदल रहा है और ऐसे में वायरस का कोई नया स्ट्रेन आपको दोबारा इन्फेक्ट कर सकता है क्योंकि वायरस अपना रूप बदल कर आया है जिसे हम नया स्ट्रेन भी कहते हैं. आपकी बॉडी हो सकता है वायरस के इस बदले रूप को ना पहचाने, और आपके शरीर में मौजूद एंटीबॉडीज उस से न लड़ पाए. इसे मेडिकल टर्म में Immunity escape कहते हैं. डॉक्टर वलेचा का ये भी कहना है कि हो सकता है कि दूसरी बार ये वायरस आपको इतना नुकसान न पहुंचाए लेकिन फिर भी हमें हर ज़रूरी दवाई और सावधानी बरतनी चाहिए.
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