
दुनिया मे हज़ारों लाखों जीव जंतु और पेड़ पौधों की प्रजातियां है।हमारी प्रकृति इतनी विशाल और सुंदर है कि हम मनुष्य इसकी कल्पना भी नही कर सकते।लेकिन सच तो ये है कि हम मनुष्य ही हमारी प्रकृति की सुंदरता को नष्ट कर रहे है अथवा इसकी विशालता को सीमित करते जा रहें हैं।आज मानव द्वारा की जा रही घटनाओं की वजह से हज़ारों जानवरों,जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों के प्रजातियाँ विलुप्त हो चुकी हैं तो वहीं सैकड़ों विलुप्त होने की कगार वे हैं।
लेकिन इसी बीच हिन्द महासगार से एक सुकून देने वाली खबर आई।दरअसल यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन(University of Washington) की एक स्टडी के मुताबिक हिन्द महासागर में विलुप्त होने की कगार पर खड़ी एक विशेष प्रजाति की ब्लू व्हेल के होने के साक्ष्य मिले हैं।ये ब्लू व्हेल छोटी होती हैं तथा इन्हें पिगमी कहा जाता है।भारत के दक्षिण-पश्चिमी तट यानी लक्षद्वीप के करीब इनका बसेरा बताया जा रहा है और इन्हें यहाँ कई बार देखा गया है।
ध्वनि तरंगों से की गई पहचान
जैसा कि आपको पता होगा कि ब्लू व्हेल एक विशालकाय जीव है और ये ज्यादा वक्त पानी के अंदर ही बिताते हैं।अब चूंकि ये पानी की सतह से ऊपर बहुत कम आती हैं इसलिये इनकी खोज सामान्य तरीके से नही की जा सकती।दरअसल ब्लू व्हेल एक साथ कुछ समय के लिए कई ध्वनि छोड़ती हैं जिन्हें वेल सॉंग भी कहा जाता है।लेकिन ये आवाज़ या तरंगें मानव नही सुन सकता इसलिए तकनीकी उपकरणों की मदद से इन ध्वनि तरंगों को पहचान लिया जाता है और ब्लू व्हेल के होने की पुष्टि हो जाती है।
ब्लू व्हेल के संरक्षण की दी नसीहत
यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन ने अपनी स्टडी में बताया कि पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ साथ इन जीवों का संरक्षण करना भी जरूरी है।विशेषज्ञों की मुताबिक हिन्द महासागर ब्लू व्हेल के लिए एहम बसेरों में से एक है और यहाँ पर इनके संरक्षण को महत्व देना होगा तथा इनके शिकार को भी यथासंभव हो सके रोकना होगा।तब जाके इनकी संख्या में बढ़ोत्तरी होगी।
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