
भारत अपने आप को पूरी तरह से भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार कर रहा है और ऐसे में भारत को हर मोर्चे पे अपनी शक्ति को बढ़ाना होगा फिर चाहे वो आसमान हो में या फिर समुद्र।भारत की समुद्री सीमा काफी बड़ी है और चीन भी अपनी सबमरीन की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रहा है।इस खतरे को देखते हुए भारतीय नौसेना(Indian Navy) को जल्द से जल्द सबमरीन(submarine) की जरूरत थी और इसीलिए रक्षा मंत्रालय(defence ministry) ने 6 सबमरीन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
चीन हिन्द महासागर(Indian Ocean) में लगातार घुसपैठ कर रहा है और इसकी सबसे बड़ी वजह है भारत को हिन्द महासागर में चुनौती देने क्योंकि हिंदी महासागर में भारत का वर्चस्व है और चीन इसे खत्म करना चाहता है।चीन के ऐसा करने के पीछे उसकी सबसे ताकत है उसके सबमरीन की विशाल संख्या।चीन के पास दुनिया मे सबसे ज्यादा सबमरीन है इसी वजह से वह दुनिया भर के देशों के समुद्री छेत्रों में घुसपैठ किया करता है।
हिन्द महासागर में चीन को चुनौती देने के लिए और अपना दबदबा कायम करने के लिए ही भारतीय नौसेना ने रक्षा मंत्रालय से प्रोजेक्ट पी-75 आई (project P-75I)के तहत 6 आधुनिक व उन्नत तकनीक से बनी हुई सबमरीन के लिए प्रस्ताव दिया था जिसे रक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाली DAC(Defence Acquisition Council) ने मंजूरी दे दी है।
क्या है प्रोजेक्ट पी-75 आई?
प्रोजेक्ट पी-75 आई ते तहत 6 अत्याधुनिक व उन्नत तकनीक व हथियारों से लैस सबमरीन भारत मे ही मेक इन इंडिया(Make In India) के तहत बनेंगी।इसके लिए भारत की स्वदेशी कंपनियां किसी एक विदेशी कंपनी के साथ करार करेंगी और उस विदेशी कंपनी को सम्पूर्ण ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी(transfer of technology) के तहत भारत मे ही सारी 6 सबमरीन बनानी होंगी।
इस पूरे प्रोजेक्ट की कीमत लगभग 50 हज़ार करोड़ रुपये है और इसमें कई देश जैसे रूस,फ्रांस,जर्मनी,स्पेन,आदि ने रुचि दिखाई है।अब चूंकि इसे रक्षा मंत्रालय द्वारा मंजूरी दे दी गयी है इसलिए भारतीय नौसेना जल्द ही रिक्वेस्ट फ़ॉर इनफार्मेशन(request for information) जारी करेगी जिसके बाद किसी एक विदेशी कंपनी को चुना जाएगा और फिर इस प्रोजेक्ट पे काम शुरू कर दिया जाएगा।