
नेपाल में चल रहे सियासी संकट का अंत होते दिख रहा है इसके साथ ही के प्रधानमंत्री ओली के पद से हटना तय है।दरसल नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने ओली द्वारा संसद भंग करने के फैसले को एक बार फिर से पलट दिया और दोबारा से संसद बहाली के आदेश दे दिया।इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने नेपाल की कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा को नया प्रधानमंत्री भी नियुक्त कर दिया जिसके बाद अब के पी शर्मा ओली का जाना लगभग तय है।
गैर संवैधानिक तरीके से ओली चला रहे थे सरकार
प्रधानमंत्री ओली नेपाल में पिछले कुछ महीनों से गैर संवैधानिक तरीके से सरकार चला रहे थे।सबसे पहली बात ओली के पास बहुमत था ही नही और वे अल्पमत की सरकार चला रहे थे जो कि पूरी तरह से गैर संवैधानिक है।ओली ने संसद में विश्वास मत भी गंवा दिया था लेकिन इसके बावजूद प्रधानमंत्री बने रहने के लालच में उन्होंने इस्तीफा देने के बजाय संसद ही भंग कर दी जो कि नेपाल के संविधान के खिलाफ है और इसीलिए नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने दो बार ओली के इस फैसले को ओलंत दिया।अब ओली को बड़ा झटका लगा है और अब उन्हें हर हाल में और वो भी जल्द से जल्द प्रधामंत्री का पद त्यागना होगा।
भारत को फायदा तो वहीं चीन को झटका
के पी शर्मा ओली को चीन के चमचा और चीन के हाथों की कठपुतली भी कहा जाता है।ओली का चीन प्रेम ही नेपाल और भारत के मजबूत रिश्तों में दरार का कारण है।वरना भारत और नेपाल की रिश्तों में इतनी ज्यादा खटास कभी नही हुई जितनी ओली के प्रधानमंत्री बनने के बाद हुई।और ये बात न सिर्फ भारत के बल्कि नेपाल के लोग भी जानते थे और इसी वजह से नेपाल के लोगों ने ही ओली का जमकर विरोध किया और वहाँ की कई राजनीतिक पार्टियों ने यहाँ तक कि उनकी खुद की पार्टी ने उनका विरोध किया।इस सब के बाद से ही नेपाल में राजनीतिक संकट गहरा गया।अब लेकिन नए प्रधानमंत्री बनने से भारत को फायदा होगा तो वहीं चीन का नुकसान होगा।
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