चीन एक गैर-लोकतांत्रिक(Autocratic) देश है और वहाँ लोगों को अपनी बात रखने का या अपनी आवाज़ उठाने का कोई हक नही है।जो नागरिक वहां की सरकार के खिलाफ कुछ बोलता है या अपनी आवाज़ उठाता है उसे इसके लिए गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते है।ऐसे ही कुछ एक चीनी ब्लॉगर के साथ हुआ।
दरअसल,पिछले साल मई में भारत और चीन के सैनिकों के बीच लद्दाख(laddakh) के गलवां घाटी(Galwan Valley) में एक हिंसक झड़प हो गयी थी जिसमे भारत के 20 वीर जवान शहीद हो गए थे।अब भारत ने तो अपने वीर जवानों की शहादत को याद करते हुए पूरे मान सम्मान के साथ उनको अंतिम विदाई दी लेकिन चीन ने डर की वजह से अपने सैनिकों की न तो सही संख्या बताई न ही उन्हें कोई सम्मान दिया।
पूरी दुनिया इस बात की पुष्टि कर चुकी है व इस बात को स्वीकार भी कर चुकी है की गलवां घाटी में भारत और चीन के बीच हुई हिंसक झड़प में चीन के भारत से कई गुना ज्यादा जवान मारे गए थे व कई गुना ज्यादा घायल हुए थे।लेकिन चीन ने अपनी बदनामी के डर से से कभी भी असली संख्या को दुनिया के सामने नही आने दिया।
क्या है पूरा मामला?
गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच हुई हिंसक झड़प में चीन के भी कई सैनिक मारे गए थे पर न तो उनके बारे में कोई जानकारी सांझा की गई,न ही उनके शवों को उनके परिवार वालों को दिया गया और न ही उन्हें कोई सम्मान दिया गया।
ऐसे में कई सैनिकों के परिवार वालों व कई चीनी नागरिकों ने अपने जवानों की शहादत व मृत जवानों की असल संख्या के बारे में पूछा तो उनकी आवाज़ को दबा दिया गया व उनपर कई अत्याचार किये गए।इस तरह के कई मामले पिछले साल भर में आ चुके है।
अब ऐसा ही एक और मामला आया,दरअसल चीन के एक प्रसिद्ध ब्लॉगर(Blogger) ने गलवां में मारे गए अपने सैनिकों की असल संख्या के बारे में पूछा व उनकी सरकार के द्वारा दी गयी आधिकारिक संख्या पर सवाल उठाया तो चीनी सरकार ने उसे 8 महीनों के लिए जेल में डाल दिया।
38 वर्षीय चीनी ब्लॉगर चियो जिमिंग ने चीनी सरकार द्वारा दी गयी आधिकारिक जानकारी पर संदेह जताते हुए कहा कि गलवान ने मेरे गए हमारे सैनिकों की संख्या आधिकारिक संख्या से कहीं ज्यादा हो सकती है।
Read Also-
चीन की मदद से पाकिस्तान ने लॉन्च करी (PakVac) कोरोना वैक्सीन।