कोरोना वायरस ने दुनिया भर में कोहराम मच रखा है और दुनिया का हर देश इस भयानक वायरस से परेशान है।इस वायरस ने हर वर्ग के लोगों को मुसीबत में दाल दिया है फिर चाहे वो अमीर हो या फिर गरीब।इसी कोरोना वायरस ने चीन और अमेरिका के बीच दुश्मनी की एक नई इबारत लिखने का काम किया है।
दुनिया भर के वैज्ञानिक कई महीनों से शोध कर रहे हैं कि आखिर दुनिया मे तबाही मचाने वाला ये वायरस उत्पन्न कहा से हुआ।पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों के मन मे सबसे बड़ा प्रश्न यही है कि इस वायरस की उत्पत्ति प्राकर्तिक है या फिर इसे मानव द्वारा बनाया गया है।
वास्तविकता में तो कोरोना वायरस को सबसे पहले चीन के वुहान शहर में पाया गया था उसके बाद से दुनिया का कोई ऐसे कोना नही बचा जहा इस वायरस ने अपना कहर न बरपाया हो।इसी बात पर दुनिया असमंजस की स्थिति में है कुछ देश सीधे तौर पे मानते हैं कि कोरोना वायरस को चीन ने अपनी वुहान लैब में बनाया है और चीन को इसका हर्जाना देना होगा तो वहीं कुछ देश मानते है कि ये एक प्राकर्तिक वायरस है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल अमेरिका उन देशों में सबसे आगे है जहां कोरोना ने भयानक तबाही मचाई है व कई लोगों की जान ली है।अमेरिका में ही अब तक सर्वाधिक केस मिलें है और सर्वाधिक मृत्यु भी वही पर हुईं हैं।ऐसे में अमेरिका का गुस्सा होने जायज भी है।
जब कोरोना अमेरिका में फैला तब अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प थे और वे चीन के खिलाफ कोरोना को लेके काफी सख्त थे उनका सीधे तौर पे मानना था कि इस वायरस को चीन ने जानबूझकर दुनिया मे फैलाया और यह वायरस चीन की वुहान लैब में बना है।इसी वजह से ट्रम्प कोरोना को चीनी वायरस भी कहा करते थे।
अब जब कई सारे वैज्ञानिकों ने यह माना कि चीन के वुहान लैब से ही निकला है और चीन इसके विरुद्ध में पर्याप्त साक्ष्य भी नही दे पाया तो ट्रम्प ने कहा कि मैं सही था यह चीनी वायरस ही है और इसके लिए चीन को 10 लाख करोड़ का जुर्माना देना होगा।हालांकि अब ट्रम्प राष्ट्रपति नही है इसलिए इस पर फैसला अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ही करेंगे।
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