अंतरराष्ट्रीय योग दिवस भारत द्वारा दुनिया को दिया गया एक ऐसा दिन है जो स्वास्थ्य ही जीवन का आधार है वाली सोच पूरी दुनिया को देता है।वैसे तो भारत ने दुनिया को न जाने कितनी ही कलाएं व हमारे वेदों ने न जाने कितना ही ज्ञान दिया है लेकिन योग भारत द्वारा दिया गया एक ऐसा वरदान है जिसकी दुनिया को इस वक्त सबसे ज्यादा जरूरत है।
योग अब सिर्फ भारत तक ही नही सीमित रहा है बल्कि योग अब पूरी दुनिया में पूरी तरह से फैल चुका।पूरी दुनिया मे योग अब लोगों की दिनचर्या का एक प्रमुख अंग बन गया है।इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय योग दिवस एक बहुत बड़ा इवेंट बन गया है ना सिर्फ भारत मे बल्कि पूरी दुनिया मे लाखों लोग आज के दिन एक साथ योग करके स्वस्थ एवं सुखी जीवन का आधार रखते हैं।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का इतिहास और महत्व
सर्वप्रथम भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र के अपने संबोधन में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का प्रस्ताव रखा था।उनका कहना था कि 21 जून साल का सबसे बड़ा दिन होता है साथ ही इस दिन का दुनिया मे कई जगह महत्व भी है।इसी के बाद 11 दिसम्बर 2014 को भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस बिल को आधिकारिक तौर पर पेश किया और 177 देशों ने इसका समर्थन किया और उसके अगले ही साल से 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप के मनाया जाने लगा।
योग का भारत की संस्कृति में गहरा प्रभाव है और यह हमारी ऐतिहासिक विरासत है।ऐसा माना जाता है कि 21 जून को ही भगवान शिव ने योग का ज्ञान दुनिया को दिया था।लेकिन आज की दुनिया मे योग का महत्व पूरी दुनिया मे और बढ़ गया है क्योंकि कोरोना महामारी में योग ने मानव शरीर को दोबारा से स्फूर्ति व नई ऊर्जा प्रदान की है।इसके साथ ही योग ने ऐसी जटिल परिस्थितियों में मानव को मानसिक रूप से स्थिरता प्रदान की और अवसाद से उभरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
क्या है इस बार के योग दिवस की थीम?
इस बार के अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की थीम है- ‘योग फॉर वेलनेस'(Yoga For Wellness).